‘ठीकेदारिन कहते हैं उसे मज़दूर-रेज़ा, नेता-परेता। ठाठ तो देखिए...ठाड़े-ठाड़े गरियाती है लेबरों, अफसर... ‘ठीकेदारिन कहते हैं उसे मज़दूर-रेज़ा, नेता-परेता। ठाठ तो देखिए...ठाड़े-ठाड़े गरि...
कड़कड़ाती ठंड मे वो ठिठुरती हुई एक फटी - सी मैली चादर अपने बदन पे लपेट कर ठंड से बचने की नाकाम कोशिश क... कड़कड़ाती ठंड मे वो ठिठुरती हुई एक फटी - सी मैली चादर अपने बदन पे लपेट कर ठंड से ब...
हम लड़कों की एक हल्की आहट से, हल्के अंधेरों में औरतें खुद को महफूज़ नहीं समझती! हम लड़कों की एक हल्की आहट से, हल्के अंधेरों में औरतें खुद को महफूज़ नहीं समझती!
तो बस हमने भी आंदोलन करने की ठान ली कि सब्जियां नहीं सब्जी बिकेगी। तो बस हमने भी आंदोलन करने की ठान ली कि सब्जियां नहीं सब्जी बिकेगी।
एक तमाशा...। एक तमाशा...।
कश्मकश - कहानी का पांचवां भाग। कश्मकश - कहानी का पांचवां भाग।